वृंदावन की वृध्द विधवाये ( कविता )

krishn

वृंदावन और कान्हा की  मुरली
सब जानते हैं
वृंदावन की होली
सब जानते हैं
पर वहाँ कृष्ण को याद करती
सफेदी में लिपटी विधवाओ की टोली
किसने देखी हैं ?
आज़ जब  पहली बार
उन्हों ने खेली फूलों की होली
सफेदी सज गई गुलाबो की लाली से
कहीँ बज उठी कान्हा की मुरली
उनकी उदास सांसो से.

(  मान्यता हैं कि  वृंदावन , वाराणसी आदि में शरीर त्यागने से मोक्ष के  प्राप्त होती  हैं. इसलिये प्रायः  इन स्थानों पर विधवाये  आ कर  सात्विक जीवन बसर करती हैं.  यहाँ इन्हें  अनेकों बंधनों के बीच जीवन व्यतीत करना पड़ता हैं. इस वर्ष पहली बार होली खेलने के लिये  कुछ मंदिरों  ने अपने द्वार इन  विधवाओं के लिये  खोल दिये. )

 

 

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