शनि शिंगणा – तराशा हुआ काला हीरा ( कविता )

shani shingna

चार सौ वर्षों से,
दुनिया की आधी आबादी ,
दूर से पूजती रही ,
काले हीरे से  शनि देव को
आज़ किसी ने सोंचा ,
और सम्मान दिया नारी को ,
क्या मातृवत नारी का स्पर्श
सर्व शक्तिमान  देव को दूषित कर सकता  था ?

(  शनि शिंगणा   मंदिर , महाराष्ट्र मॆं देव मूर्ति के पास महिलाओं  का जाना और पूजा अर्चना  निषेध  था.  मुम्बई हाईकोर्ट ने इस निषेध को हटाते हुये महिलाओं  को पूजा अर्चना की इजाजत  दे  दी हैं , जो प्रशंसनीय हैं. )

 

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वृंदावन की वृध्द विधवाये ( कविता )

krishn

वृंदावन और कान्हा की  मुरली
सब जानते हैं
वृंदावन की होली
सब जानते हैं
पर वहाँ कृष्ण को याद करती
सफेदी में लिपटी विधवाओ की टोली
किसने देखी हैं ?
आज़ जब  पहली बार
उन्हों ने खेली फूलों की होली
सफेदी सज गई गुलाबो की लाली से
कहीँ बज उठी कान्हा की मुरली
उनकी उदास सांसो से.

(  मान्यता हैं कि  वृंदावन , वाराणसी आदि में शरीर त्यागने से मोक्ष के  प्राप्त होती  हैं. इसलिये प्रायः  इन स्थानों पर विधवाये  आ कर  सात्विक जीवन बसर करती हैं.  यहाँ इन्हें  अनेकों बंधनों के बीच जीवन व्यतीत करना पड़ता हैं. इस वर्ष पहली बार होली खेलने के लिये  कुछ मंदिरों  ने अपने द्वार इन  विधवाओं के लिये  खोल दिये. )

 

 

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