माँ या सास ( लघु कथा )

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           प्रिया अपनी दूसरी प्यारी सी बेटी के जन्म के बाद अस्पताल से घर लौटी थी.  पति दूसरी बेटी के जन्म के बाद कुछ अनमने दिख रहे थे  प्रिया को ज्यादा घबराहट  सास से सामना करने में हो रहा  था. बेटा को जन्म ना देने के कारण, ना जाने क्या सुनना होगा ?

तभी, प्रिय को उसके पिता ने अपने पास बुला कर बैठाया. शांत और धीर स्वर में बताया कि उसकी माँ, उसकी  नवजात बच्ची को चुपचाप चूहा मारने की दवा चटाना चाहती थी. जिन्हे उन्होंने रोका.

आवक प्रिया को पता ही नहीँ चला, कब उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. उसे समझ ही नहीँ आ रहा था कि उसे माँ या सास किस से घबराना चहिये?

 

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रिश्ते – मुँह में राम बगल में छुरी

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सामने में सभी एक दूसरे के तारीफ में मीठी -मीठी बातें करते है. पर पीठ पीछे खुल जाता है शिकवा शिकायतों का पुलंदा.

क्या शतक दर शतक गुलामी की जंजीरों में बँध कर हम ऐसे हो गये है ? मुगलों और अंग्रेजों की चाटुकारिता करते करते यह हमारी आदत बन गई है?

कभी -कभी शक होने लगता है – सच्चे रिश्ते होते हैं या नहीँ ?

 

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ऑनर किलिंग, क्यों ?

जिंदगी के रंग (6)

जीवन के इंद्रधनुषी
सात रंगों के बीच
अक्सर एक और

रंग नजर आता है,r2

धोखे का काला रंग,

जिंदगी रोज नये रंग

दिखाती है हमे।  

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बेटियाँ कब बड़ी हो जाती है ?

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सुबह, जब समय से पहले उठ कर

बेटियाँ चाय पिलाती है.

घर से निकलने के पहले

दही -चीनी खिलाती है.

यात्रा के समय दिये गये 

सलीकेदार टिफिन डब्बे से

नाश्ता के साथ चॉकलेट मिलता है,

जैसे मै कभी दिया करती थी.

Girl-bतब पता चलता है कि बेटियाँ बड़ी जल्दी बड़ी हो जाती है.

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