ना काग़ज़ ना कलम,
एक आवाज़
लेखनी बन जाती है।
बस सुनने के लिये,
इन कानों को बंद कर
सुनना होता है ……
मौन हो, अंतरात्मा की आवाज।
photo taken from internet.

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