जिंदगी के रंग ( कविता -4 ) #Mumbaislums

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नभ में पंछियों और बादलों से ऊपर उठते हुऐ
बड़ी खूबसूरत नज़र आती है दुनिया
छोटे दिखते हुऐ,
खिलौने से घर और पेड़ पौधे
पानी की बूँदों सी चमकती ताल -तलैया
सर्प सी बल खाती  नदियाँ
बडी  खूबसूरत नज़र आती  है जिंदगी
हवाई सफर से
जैसे एक  सपनों का जहाँ है
धरती और बादलों के बीच
तभी, नीचे उतरते -उतरते
वास्तविकता के धरातल पर ले आती है
       जिंदगी
  सामने दिखता है जिंदगी का सही रंग
टूटी बदसूरत  झुग्गी -झोपड़ियों की बस्ती
कमजोर अधनंगे खेलते,
हवाई जहाज़ देख शोर मचाते बच्चे,
जिंदगी रोज़ नये रंग दिखाती है हमें.

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image taken from internet.

जिंदगी के रंग (कविता – 5)

जीवन के  इंद्रधनुषी सफर में
हजारो रंग नज़र आते है,
परायों को अपना कहनेवाले
अच्छों को बुरा कहने वाले
कहीँ ना कहीँ मिल जाते है

रोज़ सफेद -काले और
सतरंगी जिंदगी नज़र आती है
जिंदगी रोज़ नये रंग दिखाती है।