
रामायण महाकथा के अनुसार जनक पुत्री सीता जी उन्हें एक घड़े या पात्र में मिली थीं ।भूमि पुत्री सीता जी के जन्म के संबंध में अनेकों किवदंतियाँ है। एक कथानुसार वृहत यज्ञ के बाद मिथिला नरेश राजा जनक ने खेतों में हल चलाया। तभी उन को सीता जी खेत में मिली थीं। खेत जोतने के दौरान उनका हल या सीत एक घट से टकराया, जिसमें तेजोमय , अपूर्व सुंदर कन्या थी। अतः उन्हें सीता नाम दिया गया। जिसे उन्होंने गोद लेकर पाला।
एक अन्य कथा के अनुसार वे रावण और मंदोदरी पुत्री थीं। विद्वानों ने भविष्यवाणी की, कि सीता रावण के मृत्यु और लंकादहन का कारण बनेगी । अतः रावण ने मारीच को उन्हें मृत्यु के घाट उतारने का आदेश दिया, पर तेजोमय कन्या को मारने का साहस न होने के कारण मारीच उन्हें खेत में छोड़ लौट गया।
