नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम 2010 में पर्यावरण के मुद्दों से संबंधित मामलों के शीघ्र निपटाने और संभालने के लिए बना एक विशेष न्यायाधिकरण है। यह भारत की संवैधानिक प्रावधान के तहत बना अधिनियम है। जो भारत के नागरिकों को एक स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराना चाहता हैं।
जून 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के रियो डी जनेरियो शिखर सम्मेलन में भारत ने भाग लिया। इसके बाद हमारे देश में विभिन्न राज्यों में होनेवाले प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय क्षति को नियंत्रित करने के लिए इसकी स्थापना की गई।
यह ट्रीब्युन पर्यावरण सुरक्षा और नदियों को सफाई के लिये सजग है. विशेष कर नदियों और सागर के किनारे स्थित होटलों, रिसॉर्ट्स, शहरों द्वारा नदियों में जानेवाले कचरे और गंदगी को रोकने के लिये प्रयासरत है.
पुरी, टिहरी, कश्मीर का डल झील, लक्ष्यद्वीप, गोआ, महाबलीपुरम, हरीद्वार आदि द्वारा कचरों को नदियों व सागर में प्रवाहित करने पर कठोर प्रतिक्रियाएँ दिखाई है. यह सराहनीय कदम है.
It is important for companies’ corporate social responsibility departments and all environmentalists to take notice of this.
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Thanks for liking my post.
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yes, you are right.
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thanks
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