हम में से ज़्यादातर लोग वर्तमान में जीते हैं। भविष्य के सपने सँजोते और योजनाएँ बनाते हैं। बीते हुए समय को अक्सर भुला देते हैं। हम पुरानी बातों को कम महत्व देते हैं। पर यह गौर करने की बात हैं। हम आज जो भी हैं इसमें सबसे ज्यादा महत्व हमारे बीते समय का है। पर हम सभी शायद ही इस बारे में सोचते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात है – बीती बातों से हमें वे सीख मिलती है, जो हमे पुरानी गलतियों को करने से रोकती है।
विरासतें – अक्सर विरासत का मतलब पूर्वजों से प्राप्त मकान, जमीन और दौलत जैसी बातों से जोड़ा जाता है। विरासतों को सिर्फ धन-संपाति या जमीन-जायदाद के रूप में देखना सही नहीं है। इसे जीवन के धरोहर के रूप में देखना चाहिए। यानि पुरानी बातों से सीखना चाहिए। वर्तमान में जीना चाहिए और भविष्य के लिए रचना करने की कोशिश करना चाहिए।
स्वनिर्मित या सेल्फ-मेड — कभी-कभी कुछ लोग कहतें है वे स्वनिर्मित या सेल्फ-मेड है। बात सही है। पर क्या आज हम जो बने है उसमें हमारी विरासतों का हाथ नहीं है? पुश्त दर पुश्त हम तक बहुत सी बातें, व्यवहार पढ़ाई का प्रभाव हम तक ट्रान्सफर होता है। जिस से हमारे व्यक्तित्व निर्माण होता है।
विरासतें शक्तिशाली हथियार – हमारी विरासतें ऐसी शक्तिशाली हथियार या औज़ार है । जिस से आगे की जीवन को खूबसूरती से तराशा जा सकता हैं। हमारी विरासतें, धरोहर, परम्पराएँ, संस्कृती, पैतृक प्रभाव इन सब का हम पर असर पड़ता है। जिस से आगे सामाजिक बदलाव और तरक्की लाये जा सकते हैं। हम आज जो हैं और जैसे है, वह व्यक्तित्व इन्ही विरासातों से बना है।
हमारी यह ज़िम्मेदारी है कि अपने धरोहर या थाती को ठीक-ठीक आगे ले जाएँ। ठीक वैसे जैसे हमें मिला है। हो सके तो इसे चिंतन-मनन और समझदारी से और अच्छा रूप दें। ये विरासतें और थाती हमारे सुनहरे कल का आधार है।
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