#MyAirtelApp एयरटेल एप  का जादू ( blog related topic )

मेरे पास एयरटेल का मोबाइल कनेक्शन काफी पहले से है। लगभग छः महीने पहले मैंने अपने पुराने फोन को बदलने का निश्चय किया। बड़े दिनों से एंड्रोएड स्मार्ट  फोन की तमन्ना मेरे दिल में थी। आखिरकार मेरा सपना साकार हुआ। मैंने एक एंड्रोएड फोन खरीद लिया। दो-चार दिन तो मैं नए फोन को समझने और चलाने की उलझन में उलझ गई। मैंने स्मार्ट फोन की बड़ी चर्चा सुनी थी। इसलिए जल्दी जल्दी मैंने इसे सीख लिया।

युजर फ्रेंडली या दोस्ताना एप – तभी मुझे एयरटेल एप की जानकारी मिली। पहले तो मुझे घबराहट हुई। नया-नया फोन, इसमें एप कैसे डाला जाए? थोड़ा ड़र भी लगा। कही एप डालने से कोई परेशानी ना हो जाये। कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर मैंने हिम्मत जुटाई और अपने से इस एप  को फोन में डाउनलोड करने का निश्चय किया।  मैंने एप डालने की कोशिश की। तब पाया यह तो बड़ा आसान है। बड़े आसानी और स्वाभाविता से एप डाऊनलोड हो गया।  एप डालने के बाद लगा मेरे सामने एक नई दुनिया ही खुल गई। यह तो सपनों का संसार है। मेरे अपने फोन की खिड़की से सारी दुनिया नज़र आ रही थी। ढेरो ऑप्शन के साथ एयरटेल एप  मेरे मुट्ठी में था। मुझे विश्वाश नहीं हो रहा था। जिन कामों को करना पहाड़ लगता था। क्या सचमुच घर बैठे हो जाएगा? वह भी इतनी सरलता से ? सच बताऊँ, मुझे विश्वाश नहीं हो रहा था। इस आधे बित्ते के मोबाईल के विंडो यानि खिड़की से झाँकते इस एप में क्या सचमुच इतनी शक्ति है? मेरे मन में खयाल आया – पहले इस्तेमाल करो, फिर विश्वाश ।

एयरटेल एप
एयरटेल एप

अलादीन का चिराग – मैंने सोचना शुरू किया, कहाँ से शुरुआत करूँ? सारे के सारे ऑप्शन बड़े लुभावने लग रहे थे। मन में तरह – तरह के ख्याल आ रहे थे।  इस जलती गर्मी में घर से बाहर निकल कर कुछ भी करने का मन नहीं करता है। अगर सचमुच घर बैठे ये काम हो जाए, तब सचमुच मज़ा आ जायेगा । मैं अभी सोच विचार में लगी थी । तभी एयरटेल का एक आकर्षक ऑफर मेरे फोन पर आया। 14 रुपये के रेचार्ज से मेरे सारे काल 30 पैसे प्रति मिनट हो जाएँगे। मैंने अपने एयरटेल – मनी से यह काम करने की कोशिश की और हैरान रह गई। यह काम पल भर में हो गया। अब मैं एयरटेल – मनी का भरपूर इस्तेमाल करने लगी हूँ। यह मुझे बड़ा सरल और सुविधाजनक लगने लगा है।

अब तो मैं बड़ी सहजता और स्वाभाविता से इसके  इंटरनेट का उपयोग भी करने लगी हूँ। एयरटेल वन टच  इंटरनेट से मैं बड़ी आसानी से सभी से जुड़ा हुआ महसूस करती हूँ। बिना लैपटाप के जब चाहो, जहां चाहो ईमेल देखना हो या व्हाट्सएप से परिवार, मित्रों या बच्चों से बातें करना हो, सब मुट्ठी में होता है। यहाँ तक कि ब्लॉग पढ़ना या पोस्ट करना जैसे काम भी उँगलियों के इशारे से हो जाता है। लगता है जैसे हाथों में अलादीन का चिराग आ गया है।   

वैसे तो ख़रीदारी  महिलाओं का मनपसंद  शगल और शौक होता है। पर बाज़ार की  भीड़भाड़ और मोलतोल से मुझे बड़ी परेशानी मससूस होती है। ऊपर से यह भयंकर गर्मी रहा सहा उत्साह भी ठंडा कर देतीं है। ऐसे में एयरटेल से ख़रीदारी की सुविधा ठंढे – सुहाने बौछार सा लगता है। घर बैठे मन चाही ख़रीदारी करो।  वह भी ढेरो ऑफरों के साथ।  यह  बड़ा अच्छा लगता है। वन स्टॉप शॉप फॉर ऑल कंटेन्ट ने जिंदगी को सरल और सुकून भरा बना दिया है।    

फूलों से बरसते  ऑफ़र– एक बात इस एप की मुझे बड़ी अच्छी लगती है। वह है ढेर सारे ऑफर। लगता है  जैसे ड़ाल से टूट कर  खूबसूरत फूल हथेलियों में आ गिरे  हों। जब मैंने अपना मोबाईल रेचार्ज करवाया तब मुझे कुछ रेस्टोरेन्ट के डिस्काउंट कूपन ऑफर में  मिले। इसी तरह इंटरनेट रीचार्ज के साथ मुझे वाइकिंग म्यूजिक की सुविधा ऑफर में प्राप्त ई।

पारिवार का  मददगार दोस्त – अब मेरे बच्चे और पति सब इस एप को इस्तेमाल करने लगे हैं। मेरे पति मोबाईल रीचार्ज, डीटीएच, और ना जाने कितना सारा काम इस एप के जरिये करने लगे है। बेटियाँ भी ख़रीदारी और इंटरनेट बड़े मज़े से इस्तेमाल करने लगी है। इस से समय और मेहनत दोनों की बचत होती है।

http://www.airtel.in/myairtel.

नेशनल ग्रीन ट्रीब्युनल (महत्वपूर्ण जानकारी )

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम 2010 में पर्यावरण के मुद्दों से संबंधित मामलों के शीघ्र निपटाने और संभालने के लिए बना एक विशेष न्यायाधिकरण है। यह भारत की संवैधानिक प्रावधान के तहत बना अधिनियम है। जो भारत के नागरिकों को एक स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराना चाहता हैं।

जून 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के रियो डी जनेरियो शिखर सम्मेलन में भारत ने भाग लिया। इसके बाद हमारे देश में विभिन्न राज्यों में होनेवाले प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय क्षति को नियंत्रित करने के लिए इसकी स्थापना की गई।

यह ट्रीब्युन पर्यावरण सुरक्षा और नदियों को सफाई के लिये सजग है. विशेष कर नदियों और सागर के किनारे स्थित होटलों, रिसॉर्ट्स, शहरों द्वारा नदियों में जानेवाले कचरे और गंदगी को रोकने के लिये प्रयासरत है.

पुरी, टिहरी, कश्मीर का डल झील, लक्ष्यद्वीप, गोआ, महाबलीपुरम, हरीद्वार आदि द्वारा कचरों को नदियों व सागर में प्रवाहित करने पर कठोर प्रतिक्रियाएँ दिखाई है. यह सराहनीय  कदम है.

हमारी विरासतों और बीते समय के पद चिन्हों ने हमें तराशा हैं……( एक विचार )

हम में से ज़्यादातर लोग वर्तमान में जीते हैं। भविष्य के सपने सँजोते और योजनाएँ बनाते हैं। बीते हुए समय को अक्सर भुला देते हैं। हम पुरानी बातों को कम महत्व देते हैं। पर यह गौर करने की बात हैं। हम आज जो भी हैं इसमें सबसे ज्यादा महत्व हमारे बीते समय का है। पर हम सभी शायद ही इस बारे में सोचते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात है – बीती बातों से हमें वे सीख मिलती है, जो हमे पुरानी गलतियों को करने से रोकती है।

विरासतें – अक्सर विरासत का मतलब पूर्वजों से प्राप्त मकान, जमीन और दौलत जैसी बातों से जोड़ा जाता है। विरासतों को सिर्फ धन-संपाति या जमीन-जायदाद के रूप में देखना सही नहीं है। इसे जीवन के धरोहर के रूप में देखना चाहिए। यानि पुरानी बातों से सीखना चाहिए। वर्तमान में जीना चाहिए और भविष्य के लिए रचना करने की कोशिश करना चाहिए।

स्वनिर्मित या सेल्फ-मेड — कभी-कभी कुछ लोग कहतें है वे स्वनिर्मित या सेल्फ-मेड है। बात सही है। पर क्या आज हम जो बने है उसमें हमारी विरासतों का हाथ नहीं है? पुश्त दर पुश्त हम तक बहुत सी बातें, व्यवहार पढ़ाई का प्रभाव हम तक ट्रान्सफर होता है। जिस से हमारे  व्यक्तित्व निर्माण होता है।

विरासतें शक्तिशाली हथियार – हमारी विरासतें ऐसी शक्तिशाली हथियार या औज़ार है । जिस से आगे की जीवन को खूबसूरती से तराशा जा सकता हैं। हमारी विरासतें, धरोहर, परम्पराएँ, संस्कृती, पैतृक प्रभाव इन सब का हम पर असर पड़ता है। जिस से आगे सामाजिक बदलाव और तरक्की लाये जा सकते हैं। हम आज जो हैं और जैसे है, वह व्यक्तित्व इन्ही विरासातों से बना है।

हमारी यह ज़िम्मेदारी है कि अपने धरोहर या थाती को ठीक-ठीक आगे ले जाएँ। ठीक वैसे जैसे हमें मिला है। हो सके तो इसे चिंतन-मनन और समझदारी से और अच्छा रूप दें। ये विरासतें और थाती हमारे सुनहरे कल का आधार है।

इस लेख पर विचार आमंत्रित है। अपने विचार और सुझाव निसंकोच लिखें।
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