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चेहरा छू के देखा,
बर्फ सा सर्द था।
ये कैसा है राब्ता ?
रिश्तें है ……
लेकिन
न मुलाकातें हैं,
ना फ़ासला है ?
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कहते हैं चोट का दर्द टीसता है
सर्द मौसम में.
पर सच यह है कि
सर्द मौसम की गुनगुनी धूप,
बरसाती सूरज की लुकाछिपी की गरमाहट
या जेठ की तपती गर्मी ओढ़ने पर भी
कुछ दर्द बेचैन कर जाती हैं.
दर्द को लफ़्ज़ों में ढाल कर
कभी कभी ही राहत मिलती है.
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