रात के आख़री किनारे पर

इक तन्हा चराग़, कमजोर पड़ते लौ से

निशा के गहरे अँधेरे से लड़ता थक सा गया।

रात के आख़री किनारे पर

टिमटिमाते चराग़ के कानों में,

सहर का सितारा बोल पड़ा –

हौसला रख, सुबह के दीप।

कुछ हीं पल में अँधेरा जाने वाला है।

रौशन जहाँ करने,

आफ़ताब आने हीं वाला है,

तारों भरी रात

तारों की कहकशाँ से सजी रात है,

आकाश में छिटके चाँद-तारे, शरद पूर्णिमा की रात।

धरा पर राधा -कान्हा करते महारास,

वृंदावन की अद्भुत धूम में महारासलीला की रात।

आध्यात्म और प्रेमोत्सव की निराली रात।

सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा की,

बिखरी चाँदनी में गोपियाँ नाचती रही,

बरसात रहा अमृत सारी-सारी रात।

रक़्स…नृत्य में डूबी तारों भरी रात है।

(अश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा / शरद पूर्णिमा, रविवार, 09 अक्टूबर 2022 )

रात की दहलीज़ पर

दहलीज़ पर जलता दीया,

पाथेय बन राहें

उनके लिए रौशन है करता,

जिन्हें वापस आना हो।

ज़ो लौटें हीं ना

उनके लिए क्यों दीया जलाना

रात की दहलीज़ पर?

रात की आग़ोश में

ज़द्दोजहद में ज़िंदगी के,

थके, बेचैन दिन,

कट जाते है निशा के इंतज़ार में।

आ कर गुज़र जाती है रात भी,

किसी याद में।

रात की आग़ोश में,

थक कर सो जाते हैं ख़्वाब।

जागते रह जातें है

चराग़ और महताब…..चाँद।

जारी रहती है सफ़र-ए- ज़िंदगी।

रात बुला ले जाती है!

चारो ओर छाया रात का रहस्यमय अंधेरा,

दिन के कोलाहल से व्यथित निशा का सन्नाटा,

गवाह है अपने को जलाते चराग़ों के सफ़र का।

कभी ये रातें बुला ले जाती है नींद के आग़ोश में ख़्वाबों के नगर।

कभी ले जातीं है शब-ए-विसाल और

कभी दर्द भरी जुदाई की यादों में ।

हर रात की अपनी दास्ताँ और अफ़साने होतें है,

और कहने वाले कह देतें हैं- रात गई बात गई !

शब-ए-विसाल – मिलन की रातें/ the night of union

#TopicByYourQuote

रो देती है रात

कितने ख़्वाब सजाती है रात।

लोगों के टूटते ख़्वाबों को देख रो देती रात।

कई अफ़साने-ए- इश्क़ बिखरते देख,

टूटे दिलों को, पीते अश्क देख,

रो देती है, अंधेरी से अंधेरी रात।

धोखा देने वालों की चैन की नींद देख,

रश्क से भर रो देती है चाँदनी रात।

हर पत्ते पर शबनम की बूँदें गवाह है

रजनी….रात के आँसुओं के, कि

दूसरों के दर्द से भर रो देती है रात।

TopicByYourQuote

दिल की बातें

अक्सर ज़ुबान पर लगे

सयंम के पहरे स्याह पलों

में बिखर जातें है।

दिल की गहराइयों में

छुपी बातें, लबों पर

बेबाक़ी से छलक आतीं हैं।

दिल से दिल की बातें

करनी हो तो चरागों के

जश्न से बेहतर अँधेरे हैं।

मनोवैज्ञानिक तथ्य– देर रात को बात करने पर ज्यादातर लोग सच बोलते हैं, क्योंकि रात को दिमाग थका हुआ होने के कारण ज्यादा नहीं सोच पाता है।

Psychology says – Night Is The Best Time To Have A Deep Conversation With Someone, According To Experts

दो चाँद

परसों पूर्णिमा की रात,

मानसून से पहले भटकते आ गए बादलों ने

चाँद को ले लिया आग़ोश में।

बादल बरसे, धुल गया गगन  

अौ रात आरसी हो गई ,

और धरा भी आईना।

अब दो चाँद थे,

एक ऊपर एक नीचे।

ज्यों हीं धरा का  चाँद छूने हाथ बढ़ाया,

पानी हिला अौ चाँद  खो गया।

ऐसे ही खो जाते हो तुम भी, हाथ बढ़ाते।

 

 

ज़िंदगी के रंग -211

 

 

 

 

बादलों और धूप को लड़ते देखा ।

रात की ख़ुशबू में,

खुली आँखों और सपनों को झगड़ते देखा।

फ़ूल और झड़ती पंखुड़ियों को,

हवा के झोंकों से ठहरने कहते देखा।

अजीब रुत है।

हर कोई क्यों दूसरे से नाख़ुश है?