सभी साधकों और वरिष्ठ ज्ञानी जनों का मधुमेह उपचार शिविर में स्वागत है।
मैं रेखा सहाय हूँ । मैंने मनोविज्ञान की पढ़ाई की है। लेकिन मेरा प्रिय विषय है – अाध्यात्म। मैं अक्सर मनोविज्ञान, विज्ञान अौर योग विज्ञान को अाध्यात्मिकता के नजरिया से समझने की कोशिश करती रहती हूं। दरअसल विज्ञान, मनोविज्ञान या अध्यात्म का उद्देश्य एक ही है – मनुष्य को स्वस्थ जीवन प्रदान करना।
लेकिन इनके तुलनात्मक अध्ययन में मैनें हमेशा पाया है कि योग अौर अाध्यात्म बेहद महत्वपुर्ण है । निष्काम कर्म व ध्यान मधुमेह के साथ-साथ सभी रोगों में लाभदायक हैं। यह हमें अाध्यात्मिकता की अोर भी ले जाता है।
सबसे पहले मैं विज्ञान अौर मधुमेह रोग की बातें करती हूं। रिसर्चों के आधार पर विज्ञान ने आज मान लिया है कि मानसिक और शारीरिक स्ट्रेस या तनाव हमारे ब्लड शुगर लेवल को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में शरीर में कुछ हानिकारक हार्मोन भी रिलीज होने लगते हैं। इन्हें नियंत्रित करने का एक अच्छा उपाय हैं ध्यान लगाना और खुश रहना है। शोधों से पता चला है कि माइंडफुलनेस यानि हमेशा खुश रहने की प्रैक्टिस टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवेल को कम करती है।
अब मनोविज्ञान की बातें करें । मनोविज्ञान का मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए हमारा खुश रहना जरूरी है और ये खुशियां हमारें ही अंदर हैं। जब हम बिना स्वार्थ के, दिल से किसी की सहायता करते हैं। किसी के साथ अपनी मुस्कुराहटे बांटते हैं, अौर ध्यान लगाते हैं। तब हमारे शरीर में कुछ हार्मोन सीक्रिट होते हैं। जिसे वैज्ञानिकों ने हैप्पी हार्मोन का नाम दिया है। ये हैप्पी हार्मोन हैं – डोपामिन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटॉसिन और एस्ट्रोजन।
यानी विज्ञान और मनोविज्ञान दोनों के अनुसार, जब हम ध्यान लगाते हैं अौर निष्काम कर्म करते हैं। तब हमारे अंदर हैप्पी हार्मोन स्त्राव से खुशियां अौर शांती उत्पन्न होती है। जो स्वस्थ जीवन के लिये जरुरी है। विज्ञान और मनोविज्ञान के ऐसे खोजों से विदेश के यूनिवर्सिटीज में हैप्पीनेस कोर्सेज अौर योग के क्लासेस शुरू होने लगे। आप में से बहुत लोग जानते होगें। आज के समय में हावर्ड यूनिवर्सिटी में पॉजिटिव साइकोलॉजी का हैप्पीनेस स्टडीज बेहद पॉपुलर कोर्स है। इस के अलावा 2 जुलाई 2018 में दलाई लामा की उपस्थिति में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी हैप्पीनेस कोर्स लांच किया गया।
अब अध्यात्म की बातें करते हैं । आज मनोविज्ञान और विज्ञान स्वस्थ जीवन के लिए हारमोंस को महत्वपूर्ण मानते हैं। मेरे विचार में, हमारे प्राचीन ज्ञान आज से काफी उन्नत थे। हमारे प्राचीन ऋषि और मनीषियों ने काफी पहले यह खोज लिया था कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए अाध्यात्म – यानि ध्यान, योग, निष्काम कर्म आदि हीं सर्वोत्तम उपाय है। किसी भी परिस्थिती में संतुलित रहना, शांत रहना, सकारात्मक या पॉजिटिव और खुश रहना ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। आधुनिक शोधों में पाया गया कि योग, ध्यान और निष्काम कर्म से शरीर में हैप्पी हार्मोन सीक्रिट होते हैं । ध्यान व निष्काम कर्म सभी हार्मोनों के स्त्राव को संतुलित भी रखतें हैं। यह हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ के लिये महत्वपूर्ण हैं।
अब एक बात गौर करने की है। हमारे शरीर में जहां-जहां हमारे ध्यान के चक्र है। हार्मोन सीक्रिट करने वाले ग्लैंडस भी लगभग वहीं वहीं है। यह इस बात का सबूत है कि विज्ञान आज जहां पहुंचा है। वह ज्ञान हमारे पास अाध्यात्म के रूप में पहले से उपलब्ध है। सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि योग, ध्यान और निष्काम कर्म यही बातें सदियों से हमें बताते आ रहा है। यह संदेश भगवान कृष्ण ने गीता में हमें हजारों वर्ष पहले दे दिया था –
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- कर्मयोगी बनो। फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य और अच्छे कर्म करो।| निष्काम कर्म एक यज्ञ हैं। जो व्यक्ति निष्काम कर्म को अपना कर्तव्य समझते हैं। वे तनाव-मुक्त रहते हैं | तटस्थ भाव से कर्म करने वाले अपने कर्म को ही पुरस्कार समझते हैं| उन्हें उस में शान्ति अौर खुशियाँ मिलती हैं |
योगसूत्र के अनुसार –
तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम।। 3-2 ।।
अर्थात जहां चित्त को लगाया जाए । जागृत रहकर चित्त का उसी वृत्त के एक तार पर चलना ध्यान है । ध्यान अष्टांग योग का सातवां महत्वपूर्ण अंग है। ध्यान का मतलब है भीतर से जाग जाना। निर्विचार दशा में रहना ही ध्यान है। ध्यान तनाव व चिंता के स्तर को कम करता है। मेडिटेशन मन को शांत और शरीर को स्वस्थ बनाता है। यह हमें आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है।
योग, ध्यान, निष्काम कर्म का ज्ञान बहुत पहले से हमारे पास है। लेकिन भागती दौड़ती जिंदगी में हम सरल जीवन, निष्काम कर्म अौर ध्यान को भूलने लगे हैं। मधुमेह या अन्य बीमारियां इस बात की चेतावनी है कि हमें खुशियों भरे स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए योग, ध्यान, और निष्काम कर्म की ओर जाना होगा। मधुमेह रोग के उपचार में ध्यान और निष्काम कर्म बेहद लाभदायक पाये गये हैं। आज खुशियों और शांति की खोज में सारी दुनिया विभिन्न कोर्सेज के पीछे भाग रही है, ऐसे में हम सब भाग्यशाली हैं कि हमें विरासत के रूप में आध्यात्म का ज्ञान मिला है। इसलिए रोग हो या ना हो सभी को स्वस्थ्य और खुशियों भरा जीवन को पाने के लिए ध्यान तथा निष्काम कर्म का अभ्यास करना चाहिये। क्योंकि
Prevention is better than cure.
आशा है, ये जानकारियाँ आप सबों को पसंद आई होगी।धन्यवाद।
हमेशा खुश रहे! हमेशा स्वस्थ रहें!