मेरे अस्तित्व का, मेरे वजूद का सम्मान करो।
हर बार किसी के बनाए साँचें में ढल जाऊँ,
यह तब मुमकिन है, जब रज़ा हो मेरी।
यह मैं हूँ , जलती और गलती हुई मोम नहीं।

अर्श….आसमान में चमकते आफ़ताब की तपिश और
महताब की मोम सी चाँदनी
ज़हन को जज़्बाती बना देते हैं.
सूरज और चाँद की
एक दूसरे को पाने की यह जद्दोजहद,
कभी मिलन नहीं होगा,
यह जान कर भी एक दूसरे को पाने का
ख़्याल इनके रूह से जाती क्यों नहीं?
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अर्थ –
अर्श-आसमान।
आफ़ताब- सूरज।
महताब- चाँद।
ज़हन – दिमाग़।
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