ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।
ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो? क्या गम है जिसको छुपा रहे हो?
सबों ने यह गाना सुना होगा – तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो? पर शायद हीं जानते होगें कि ऐसा डिप्रेशन में भी हो सकता। ऐसे में जाने या अनजाने लोग अपनी तकलीफ मुस्कुराहट के पीछे छुपातें हैं। क्योंकि मानसिक समस्याअों को आज भी स्टिगमा माना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ट्रस्टेड सोर्स के एक पेपर के अनुसार, ऐसे डिप्रेशन, क्लासिक डिप्रेशन की तुलना में एंटीटेटिकल (परस्पर विरोधी) लक्षण दिखाते हैं । जिससे यह परेशानी जटिल बन जाता है। अक्सर बहुत से लोग यह समझ भी नहीं पातें हैं कि वे उदास हैं या डिप्रेशन में हैं।
स्माइलिंग डिप्रेशन या अवसाद – ऐसे व्यक्ति बाहर से पूरी तरह खुश या संतुष्ट दिखाई देतें हैं। उनका जीवन बाहर से सामान्य या सही दिखता है। लेकिन उनमें भी डिप्रेशन जैसी समस्याएँ अौर लक्षण रहतें हैं, जैसे उदास रहना, भूख नहीं लगना, वजन संबंधी परेशानी, नींद में बदलाव, थकान आदि। विशेष बात यह है कि ऐसे लोग सक्रिय, खुशमिजाज, आशावादी, और आम तौर पर खुश दिखतें हैं। क्योंकि अवसाद के लक्षण दिखाना इन्हें कमजोरी दिखाने जैसा लगता है।
ऐसे लोगों को किसी भरोसेमंद व घनिष्ट दोस्त या परिवार के सदस्य से खुल कर बातें करना फायदेमंद हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक, मनोचिकित्सक की सहायता , टॉक थेरेपी आदि से भी समस्या सुलझाई जा सकती हैं।
टूट कर मुहब्बत करो
या मुहब्बत करके टूटो.
यादों और ख़्वाबों के बीच तकरार चलता रहेगा.
रात और दिन का क़रार बिखरता रहेगा.
कभी आँसू कभी मुस्कुराहट का बाज़ार सजता रहेगा.
यह शीशे… काँच की नगरी है.
टूटना – बिखरना, चुभना तो लगा हीं रहेगा.
जीवन की परीक्षाओं को हँस कर,
चेहरे की मुस्कुराहट के साथ झेलना तो अपनी-अपनी आदत होती है.
जीवन ख़ुशनुमा हो तभी मुस्कुराहट हो,
यह ज़रूरी नहीं.
खुशियों का मनोविज्ञान, अपने मनोवैज्ञानिक चिकित्सक स्वंय बने। Be your own therapist -Keep Smiling! It can trick your brain into happiness and boost your health.
हम खुशियाँ नहीं खरीद सकते है। लेकिन एक मुस्कुराहट से मस्तिष्क में रासायनिक संतुलन पैदा कर सकते हैं। मनोवैज्ञानिकों अौर न्यूरोलॉजिस्टों के खोज बताते हैं – जब आप मुस्कुराते हैं, तब मस्तिष्क की एक रासायनिक प्रतिक्रिया डोपामाइन और सेरोटोनिन सहित कुछ हार्मोनों को छोड़ती है।सेरोटोनिन अौर डोपामाइन खुशी की हमारी भावनाओं को बढ़ाता है।
हर बार जब आप मुस्कुराते हैं, तब दिमाग में एक फील गुड एहसास होता हैं। मुस्कुराहट तंत्रिका संदेश को सक्रिय करता है। जो आपको स्वस्थ्य और प्रसन्नचित बनाता है। हैपी हारमोन या फील-गुड न्यूरोट्रांसमीटर- डोपामाइन, एंडोर्फिन और सेरोटोनिन- सभी तब रिलीज़ होते हैं, जब आपके चेहरे पर एक मुस्कान आती है। साथ-साथ यह चेहरे पर चमक लाता है । यह न केवल आपके शरीर को आराम देता है, बल्कि यह आपके हृदय गति और रक्तचाप को भी कम करता है।
दुर्भाग्य की बात है कि कई स्थितियों मे चिकित्सकों को एंटीडिप्रेसेंट दवा से डोपामाइन और सेरोटोनिन को बढ़ाकर चिकित्सा करना पङता हैं। आप मुस्कुरा कर बङे आराम से हैपी हारमोन या फील-गुड न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को स्वाभाविक रूप से बढ़ा सकते हैं।
आँखों की चमक ,
होठों की मुस्कुराहटों ,
तले दबे
आँसुओं के सैलाब ,
और दिल के ग़म
नज़र आने के लिये
नज़र भी पैनी चाहिये.
कि
रेत के नीचे बहती एक नदी भी है.
You must be logged in to post a comment.