ज़िंदगी के महाभारत में
कई चेहरे आए गए।
देखी कितनों की फ़ितरतें
नक़ाबों में छिपी।
जीवन जयकाव्य में
सारथी बन मिलते रहे
कई कृष्ण से।
हम दुआओं में
याद रखते हैं
उन्हें संजीदगी से।
ज़िंदगी के महाभारत में
कई चेहरे आए गए।
देखी कितनों की फ़ितरतें
नक़ाबों में छिपी।
जीवन जयकाव्य में
सारथी बन मिलते रहे
कई कृष्ण से।
हम दुआओं में
याद रखते हैं
उन्हें संजीदगी से।
ज़िंदगी की हर जंग में,
हर महाभारत में आश्वस्त हैं।
क्योंकि जीवन के
हर सैलाब में तुम्हें साथ
ले कर चल रहें हैं।
भरोसा है,
जब तुमने जंग दिया है
तो जय दिलाने सारथी
बन तुम आओगे हीं।
शुभ कार्तिक पूर्णिमा !!
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली या देव दिवाली कहा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार दीपावली के 15 दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन माता गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन काशी के सभी गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रौशन किया जाता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।
महाभारत के विनाशकारी युद्ध के बाद आज के दिन पांडवों ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए स्नान कर दीपदान करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
सिख सम्प्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था।
कहते है, कार्तिक पूर्णिमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने श्री राधा का पूजन किया था।
मान्यता है कि, कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया था।
Image courtesy- Aneesh
जंग अक्सर अपनों अौर करीबियों से लङी जाती हैं
महाभारत की कहानी में सुना था,
यही सच भी है……….
अब जिंदगी के चक्रव्यूह से जाना भी है ।
image from internet.
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