Tag: दिन
मिट्टी
विचारों के गहरे सागर में अकेले
ङूबते-उतराते मन में एक ख्याल,
एक प्रश्न आया।
हम सब मिट्टी से उपज़ें हैं,
एक दिन मिट्टी में मिल जायेंगें।
यह जानते हुए भी,
जीवन से मोह इतना गहरा क्यों होते है?
माँ या मानवता !!
उस दिन मौत किसकी हुई ?
माँ की ?
या मानवता की ?
या दोनों की ??
क्यों कोई नहीं आया उसे गोद में उठाने ?

वफ़ा
मैं नादान था जो वफ़ा को
तलाश करता रहा “ग़ालिब”
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी
बेवफा हो जाएगी.
MIRZA GHALIB
दिनों की गिनती – लॉकङाउन का 50वाँ दिन
जिंदगी के पचास दिन बीत गये….कम हो गये।
बिना कुछ कहे-सुने, चुपके से एक शाम अौर ढल गई।
दिनों की गिनती शायद हीं कभी इतनी शिद्दत से की होगी।
यह भी एक यात्रा है।
मालूम नहीं कितनी लंबी।
कितने सबकों…पाठों के साथ।
ना शिकवा है ना गिला है।
पर यात्रा जारी है।
आशा भरे नये दिन, नई सुबह के इंतज़ार के साथ।
Image Courtesy- Chandni Sahay
काँच की नगरी
टूट कर मुहब्बत करो
या मुहब्बत करके टूटो.
यादों और ख़्वाबों के बीच तकरार चलता रहेगा.
रात और दिन का क़रार बिखरता रहेगा.
कभी आँसू कभी मुस्कुराहट का बाज़ार सजता रहेगा.
यह शीशे… काँच की नगरी है.
टूटना – बिखरना, चुभना तो लगा हीं रहेगा.
दूसरी दीवाली
पहली बार देखा और सुना साल में दो बार दीवाली!
दुःख, दर्द में बजती ताली.
साफ़ होती गंगा, यमुना, सरस्वती और नादियाँ,
स्वच्छ आकाश, शुद्ध वायु,
दूर दिखतीं बर्फ़ से अच्छादित पर्वत चोटियाँ.
यह क़हर है निर्जीव मक्खन से कोरोना का,
या सबक़ है नाराज़ प्रकृति का?
देखें, यह सबक़ कितने दिन टिकता है नादान, स्वार्थी मानवों के बीच.

सूरज
थका हरा सूरज रोज़ ढल जाता है.
अगले दिन हौसले से फिर रौशन सवेरा ले कर आता है.
कभी बादलो में घिर जाता है.
फिर वही उजाला ले कर वापस आता है.
ज़िंदगी भी ऐसी हीं है.
बस वही सबक़ सीख लेना है.
पीड़ा में डूब, ढल कर, दर्द के बादल से निकल कर जीना है.
यही जीवन का मूल मंत्र है.

शुभ देव दिवाली – कार्तिक पूर्णिमा
शुभ कार्तिक पूर्णिमा !!
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली या देव दिवाली कहा जाता है. कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार दीपावली के 15 दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन माता गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन काशी के सभी गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रौशन किया जाता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।
महाभारत के विनाशकारी युद्ध के बाद आज के दिन पांडवों ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए स्नान कर दीपदान करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
सिख सम्प्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था।
कहते है, कार्तिक पूर्णिमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने श्री राधा का पूजन किया था।
मान्यता है कि, कार्तिक पूर्णिमा को ही देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया था।
Image courtesy- Aneesh
You must be logged in to post a comment.