तेरी मेरी कहानी

बँटवारा हो तब

ख़ुशियाँ तुम रख लो,

ग़म मेरे पास रहने दो।

अपने हिस्से की ख़ुशियाँ हम

ख़ुद रचेंगे, ख़ुद कमाएँगे।

अभी थोड़ी ख़ुशियाँ दे दो मुझे भी।

दुनिया को तुमसे मिले विरासत दिखाने के लिए।

चेहरे पर मुस्कान की मास्क लगा दुनिया

के सामने जाने के लिए।

बस इतनी सी है, तेरी मेरी कहानी।

topic by – yourQuote

दर्द और ख़ुशियाँ

दर्द हो या ख़ुशियाँ,

सुनाने-बताने के कई होते हैं तरीक़े।

लफ़्ज़ों….शब्दों में बयाँ करते हैं,

जब मिल जाए सुनने वाले।

कभी काग़ज़ों पर बयाँ करते है,

जब ना मिले सुनने वाले।

संगीत में ढाल देते हैं,

जब मिल जाए सुरों को महसूस करने वाले।

वरना दर्द महसूस कर और चेहरे पढ़

समझने वाले रहे कहाँ ज़माने में?

दर्द और चोट

समझ नहीं आता तन और मन के

दर्द और चोट में इतना भेदभाव क्यों?

तन के चोट पर मलहम-पट्टी और अफ़सोस

करने वालों की भीड़ जुट जाती है।

मन या दिल के चोट जान-सुन कर भी

लोग अनदेखा कर देते हैं।

इसकी तो दवा भी ईजाद नहीं।

दर्द तो दोनों में होता है।

दिखता नहीं इसलिए

इसे अनदेखा करते हैं क्या?

Human behaviour-

Acute emotional stress, positive or negative, can cause the left ventricle of the heart to be ‘stunned’ or paralysed, causing heart attack-like symptoms including strong chest, arm or shoulder pains, shortness of breath, dizziness, loss of consciousness, nausea and vomiting. https://www.health.qld.gov.au › The science behind a broken heart.

वक्त की कहानी

यह तो वक़्त वक़्त की बात है।

टिकना हमारी फ़ितरत नहीं।

हम तो बहाव ही ज़िंदगी की।

ना तुम एक से रहते हो ना हम।

परिवर्तन तो संसार का नियम है।

पढ़ लो दरिया में

बहते पानी की तहरीरों को।

बात बस इतनी है –

बुरे वक़्त और दर्द में लगता है

युग बीत रहे और

एहसास-ए-वक़्त नहीं रहता

सुख में और इश्क़ में।

किसका दर्द बड़ा ?

हवा में लहराती,

दुनिया रौशन करने की ख़ुशी से नाचती सुनहरी,

लाल नारंगी लौ क्या जाने,

बाती के जलने का दर्द।

जलती बाती क्या जाने गर्म-तपते तेल की जलन?

ना लौ, ना बाती, ना तेल जाने

दीये के एक रात की कहानी।

जल-तप दूसरों को रौशन करती,

अपने तले हीं अंधकार में डूबा छोड़।

पता नहीं किसका दर्द बड़ा ?

पर सब जल-तप करते रहते हैं रौशन राहें।

क़तरे आँसुओं के

क़तरे आँसुओं के

दर्द , ग़ुस्सा आँसू पीते जाने से

रूह की प्यास मिटती नहीं है।

दर्द नासूर बन टीसने लगता है।

फिर भी अक्सर नज़र आतें हैं

दर्द छुपाते नक़ली मुस्कान भरे चेहरे,

मुस्कुराती आखें और आँखों में छुपे

झिलमिलाते क़तरे आँसुओं के।

Psychological fact – Denial is best known defense mechanisms, used when people are unable to face reality or admit an obvious truth to protect their ego.

ज़ख़्म भरने की कोशिश

कोशिशें नाक़ाम होगी, किसी की आँखें में भरे अश्क़

औ रूह में भरे दर्द के समंदर को नापने की।

मैं इसकी नाकाम कोशिश हूँ और मेरी गहराईयाँ

गवाह है इसकी, हिलोरे लेते समंदर ने कहा।

बस मलहम लगाने की कोशिशें काम आती है।

इसलिए मैं अपनी लहरों से ज़ख़्म भरने की

कोशिश में लगा रहता हूँ धरा की।

Positive Psychology-

If someone is in pain. Don’t dig deeper. Let it heal.
Instead of showing sympathy, be empathetic. Put yourself in their shoes as empathy is ability to identify with a person.

जंग

जिन्हें जंग चाहिए, उन्हें हासिल होता है,

विनाश देख ख़ुशियाँ और अपने अहं की शांति ।

औरों को हासिल होता है दर्द और रक्तपात।

हम सबों को एक युद्ध…. लङाई… जंग लड़नी होगी ,

सभी लङाईयों को खत्म करने के लिये।

शांती लाने के लिये।

This topic is given by YourQuote.

लावा

धरती के दिल का दर्द जब फूट निकलता है। उबलते दर्द से पत्थर भी मोम सा पिघलता है। माणिक-पोखराज जैसे ख़ूबसूरत रंग लिए, आतशीं-लावा दमकता है। पास जाओ तो गरमाहट और आग बताती है, ज़मीं का क़तरा-क़तरा दर्द से लरज़ता है। दर्द भरा हर वजूद ऐसे हीं सुलगता है।