फ़साने लिखें, जवाब ना आए।
अनदेखा-अनसुना किया जाए।
ऐसी बेरुख़ी की क्या शिकायतें?
सुकून है तब, संभल कर निकल जायें
जब क़रीब से कमजोर- बिखरती इमारतों के।
तब समझो ज़िंदगी जीना आ गया।
TopicByYourQuote
फ़साने लिखें, जवाब ना आए।
अनदेखा-अनसुना किया जाए।
ऐसी बेरुख़ी की क्या शिकायतें?
सुकून है तब, संभल कर निकल जायें
जब क़रीब से कमजोर- बिखरती इमारतों के।
तब समझो ज़िंदगी जीना आ गया।
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थका हरा सूरज रोज़ ढल जाता है.
अगले दिन हौसले से फिर रौशन सवेरा ले कर आता है.
कभी बादलो में घिर जाता है.
फिर वही उजाला ले कर वापस आता है.
ज़िंदगी भी ऐसी हीं है.
बस वही सबक़ सीख लेना है.
पीड़ा में डूब, ढल कर, दर्द के बादल से निकल कर जीना है.
यही जीवन का मूल मंत्र है.
दुनिया में सुख हीं सुख हो,
सिर्फ़ शांति हीं शांति और ख़ुशियाँ हो.
ऐसा ख़ुशियों का जहाँ ना खोजो.
वरना भटकते रह जाओगे.
जीवन और संसार ऐसा नहीं.
कष्ट, कोलाहल, कठिनाइयों से सीख,
शांत रह कर जीना हीं ख़ुशियों भरा जीवन है……
हमने खुद जल कर उजाला किया.
अमावास्या की अँधेरी रातों में,
बयार से लङ-झगङ कर…
तुम्हारी ख़ुशियों के लिए सोने सी सुनहरी रोशनी से जगमगाते रहे.
और आज उसी माटी में पड़े हैं…..
उसमें शामिल होने के लिए
जहाँ से जन्म लिया था.
यह थी हमारी एक रात की ज़िंदगी.
क्या तुम अपने को जला कर ख़ुशियाँ बिखेर सकते हो?
कुछ पलों में हीं जिंदगी जी सकते हो?
सीखना है तो यह सीखो।
Image courtesy- Aneesh
मन अौर दिल पर लगे,
हर चोट के निशान ने मुस्कुरा कर
ऊपरवाले को शुक्रिया कहा…..
जीवन के हर सबक, पीड़ा अौर आघात के लिये
ये तमगे हैं, जिन्हों ने जीना सीखाया।
ज़िन्दगी बहते झरने जैसा ले चली अपने संग
हमने कहा हमें अपनी राह ना चलाओ.
हम तुम्हें अपने राह ले चलते है…..
हमें जीना है अपनी ज़िंदगी – अपनी राहों पर
ना कि किसी अौर के बनाये राह पर ….
मन अौर दिल पर लगे,
हर चोट के निशान ने मुस्कुरा कर
ऊपरवाले को शुक्रिया कहा…..
जीवन के सभी सबक, पीड़ा अौर आघात
वे तमगे अौर पदक हैं,
जिन्हों ने जीना सिखाया।
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