Tag: जल
महाप्रलय !!
World’s largest iceberg breaks off from Antarctica !
महाप्रलय… जल मग्न धरा पर
बच गए अकेले मानव मनु।
है जानते यह कथा सब ।
गलते-टूटते विशालकाय हिम खंड
क्या वही इतिहास दोहराएँगे?
आज ये आइसबर्ग खबरें हैं,
क्या कल हम सब खबरें बन जाएँगे?
Stay happy, healthy and safe – 68
सूफी परंपरा में ईश्वर को हमेशा प्रेमी के रूप में देखा गया है. उसका दरवाजा केवल उन लोगों के लिए ही खुलता है, जो अपने को उसके प्रेम में खो चुके होते हैं.
A life without love is of no account.
Don’t ask yourself what kind of love you should seek,
spiritual or material, divine or mundane,
eastern or western…
divisions only lead to more divisions.
Love has no labels, no definitions.
It is what it is, pure and simple.
Love is the water of life.
And a lover is a soul of fire!
The universe turns differently when fire loves water.
बिना प्यार के जीवन अपुर्ण है। ये ना पूछो खुद से – कैसा प्यार चाहिए? आध्यात्मिक, भौतिक, दैवीय या सांसारिक, पूर्वी या पश्चिमी … खंङित करने से खंङ, टुकड़ों में बाँटनें से टुकड़े बढ़ते हैं। प्यार का ना कोई लेबल है ना परिभाषा। यह शुद्ध और सरल है। प्रेम जीवन का जल है। और एक प्रेमी अग्नि की आत्मा! ब्रह्मांड का स्वरुप तब अलग होता है जब आग पानी में प्यार होता है।
खबरें
सब कहते हैं – प्रकृति निष्ठुर हो गई है।
पर क़ुदरत से बेरुखी किया हम सब नें ।
कभी सोंचा नहीं यह क्या कहती है?
क्यों कहती हैं?
कटते पेङ, मरती नदियाँ आवाज़ें देतीं रहीं।
जहर बना जल, सागर, गगन।
हवाएँ कहती रहीं –
अनुकूल बनो या नष्ट हो जाअो…….
अब, पता नही खफ़ा है ?
दिल्लगी कर रही है?
या अपने नियम, कानून, सिद्धांतों पर चल रही है यह ?
खबरें पढ़ कर विचार आता है –
आज हम पढ़तें हैं हङप्पा अौर मोहनजोदाङो,
हजारों साल बाद क्या कोई हमें पढ़ेगा?

अनुगच्छतु प्रवाह !
जीवन प्रवाह में बहते-बहते आ गये यहाँ तक।
माना, बहते जाना जरुरी है।
परिवर्तन जीवन का नियम है।
पर जब धार के विपरीत,
कुछ गमगीन, तीखा मोङ आ जाये,
किनारों अौर चट्टानोँ से टकाराने लगें,
जलप्रवाह, बहते आँसुअों से मटमैला हो चले,
तब?
तब भी,
जीवन प्रवाह का अनुसरण करो।
यही है जिंदगी।
प्रवाह के साथ बहते चलो।
अनुगच्छतु प्रवाह ।।
दीवाली अौर दीये !
हमने खुद जल कर उजाला किया.
अमावास्या की अँधेरी रातों में,
बयार से लङ-झगङ कर…
तुम्हारी ख़ुशियों के लिए सोने सी सुनहरी रोशनी से जगमगाते रहे.
और आज उसी माटी में पड़े हैं…..
उसमें शामिल होने के लिए
जहाँ से जन्म लिया था.
यह थी हमारी एक रात की ज़िंदगी.
क्या तुम अपने को जला कर ख़ुशियाँ बिखेर सकते हो?
कुछ पलों में हीं जिंदगी जी सकते हो?
सीखना है तो यह सीखो।
Image courtesy- Aneesh
22 March – विश्व जल दिवस World Water Day
Every Drop of Water Matters, as Every Drop has Life.
पानी की हर एक बूँद मायने रखती है क्योंकि हर एक बूँद में जीवन है.
विश्व जल दिवस २२ मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
World Water Day is an annual UN observance day that highlights the importance of freshwater. The day is used to advocate for the sustainable management of freshwater resources. World Water Day is celebrated around the world with a variety of events. These can be educational, theatrical, musical or lobbying in nature.
आत्मा The soul
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।२३।।
इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता ।
nainam chindanti shastrani nainam dahati pavakah ।
na chainam kledayanty app na sosayati marutah ।। 23।।
(Bhagwat Gita: Chapter -Two, verse -23)
“The soul can never be cut to pieces by any weapon, nor burned by fire, nor moistened by water, nor withered by the wind.”
According to Bhagwat Gita, the Soul, or Atman has the properties that Weapons cannot pierce it, fire cannot burn it, water cannot moisten it and wind cannot dry it (Chapter 2.23).
रेत अौर समंदर
समंदर हँसा रेत पर – देखो हमारी गहराई अौ लहराती लहरें,
तुम ना एक बुँद जल थाम सकते हो, ना किसी काम के हो।
रेत बोला —
यह तो तुम्हारा खारापन बोल रहा है,
वरना तुम्हारे सामने – बाहर अौर अंदर भी हम हीं हम हैं
— बस रेत हीं रेत !!!
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