पहचान

लोगों के चेहरे देखते देखते ज़िंदगी कट गई।

चेहरे पहचानना अभी तक नहीं आया।

मेरी बातें सुन आईना हँसा और बोला –

मैं तो युगों-युगों से यही करता आ रहा हूँ।

पर मेरा भी यही हाल है।

मनचाहा दिखने के लिए,

लोग रोज़ नये-नये चेहरे बदलते रहते हैं।

सौ चेहरे गढ़,

कभी मुखौटे लगा, रिश्वत देते रहते हैं।

पल-पल रंग बदलते रहते हैं।

चेहरे में चेहरा ढूँढने और पहचानने की कोशिश छोड़ो।

अपने दिल की सुनो,

दूसरों को नहीं अपने आप को देखो।

अँधेरा

अँधेरा अच्छा नहीं लगता,  पर अफसोस,

रोशनी में कई चेहरे बेपर्द हो जातें हैं।

 

 

 

 

Image courtesy – Aneesh

नकाब

People don’t  change, Sometimes their mask falls off.

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जानते थे उन्हें ज़माने से।

अचानक बदले रूख को देख कर लगा।

क्या लोग बदल जाते हैं?

ज़माने बदलने के साथ?

फिर  समझ आया,

यह तो नकाब था,

जो खिसक गया था चेहरे से । 

 

जीवन के रंग – 202

जीवन की परीक्षाओं को हँस कर,

चेहरे की मुस्कुराहट के साथ झेलना तो अपनी-अपनी आदत होती है.

जीवन ख़ुशनुमा हो तभी मुस्कुराहट हो,

यह ज़रूरी नहीं.

 

साथ अौर गुलाबी डूबती शाम

गुलाबी डूबती शाम.

थोड़ी गरमाहट लिए हवा में

सागर के खारेपन की ख़ुशबू.

सुनहरे पलों की ….

यादों की आती-जाती लहरें.

नीले, उफनते सागर का किनारा.

ललाट पर उभर आए नमकीन पसीने की बूँदें.

आँखों से रिस आए खारे आँसू और

चेहरे पर सर पटकती लहरों के नमकीन छींटे.

सब नमकीन क्यों?

पहले जब हम यहाँ साथ आए थे.

तब हो ऐसा नहीं लगा था .

क्या दिल ग़मगिन होने पर सब

नमकीन…..खारा सा लगता है?

दर्द भरे दिल पर बोझ

दर्द भरे दिल पर पङे बोझ को जब उठाया

उसके तले दबे
बहुत से जाने पहचाने नाम नज़र आये।

जो शायद देखना चाहते थे….
तकलीफ देने से कितना दर्द होता है?

पर वे यह तो भूल गये कि
  चेहरे पर पङा नकाब भी तो सरक उनके असली चेहरे दिखा गया।