शब्दों के घाव destroy somebody by words

तलवार अौर आघातों के

गहरे घावों को भरते देखा है।

पर ना दिखने वाले शब्दों के घावों

को ताउम्र कसकते देखा है।

शब्दों से किसी को नष्ट करना आसान है

पर कटु शब्दों के तासीर को

नष्ट करना नामुमकिन है।

 

रंग बदलता सूरज

सुबह का ऊगता सूरज,

नीलम से नीले आकाश में,

लगता है जैसे गहरे लाल रंग का माणिक…..रुबी…. हो,

अंगूठी में जङे नगीने की तरह।  

दूसरे पहर में विषमकोण में  कटे हीरे

की तरह आँखों को चौंधियाने लगता है ।

सफेद मोती से दमकते चाँद के आगमन की आगाज़ से

शाम, पश्चिम में अस्त होता रवि रंग बदल फिर

पोखराज – मूंगे के पीले-नारंगी आभा से

रंग देता है सारा आकाश।

रंग बदलते सूरज

की रंगीन रश्मियाँ धरा को चूमती

पन्ने सी हरियाली से 

  समृद्ध करती हैं…

 

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