ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़ ,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़ ,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
नींद और ख़्वाबों की दुनिया
है तिलस्म सी रहस्यों भरी।
झिलमिलाते आधे-अधूरे-पूरे ख़्वाब,
सिर्फ़ स्याह रातों की नींद में नहीं,
जागती आँखों में भी रंग हैं भरते।
ज़िंदगी की दौड़ ख़्वाब और
उसकी ताबीर की है कहानी।
उन्हें बुनने-ख़रीदने-बेचने में
बीत जाती है ज़िंदगानी।
The World Dream Day is a strong reminder of our ability to recognize our strength and make positive change in our lives and in the world. The theme for celebrating World Dream Day 2022 will be “The Higher Dream”.
तराशते रहें ख़्वाबों को,
कतरते रहे अरमानों को.
काटते-छाँटते रहें ख़्वाहिशों को.
जब अक़्स पूरा हुआ,
मुकम्मल हुईं तमन्नाएँ,
साथ और हाथ छूट चुका था.
सच है …..
सभी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
किसी को जमीं,
किसी को आसमाँ नहीं मिलता.
टूट कर मुहब्बत करो
या मुहब्बत करके टूटो.
यादों और ख़्वाबों के बीच तकरार चलता रहेगा.
रात और दिन का क़रार बिखरता रहेगा.
कभी आँसू कभी मुस्कुराहट का बाज़ार सजता रहेगा.
यह शीशे… काँच की नगरी है.
टूटना – बिखरना, चुभना तो लगा हीं रहेगा.
भोर हो जाय, धूप निकल आए
तब बता देना. जागती आँखों के
ख़्वाबों.. सपनों से निकल
कर बाहर आ जाएँगे.
Painting courtesy- Lily Sahay
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