ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़ ,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
ज़िंदगी ख़्वाबों में मसरूफ़ ,
ख़्वाबों की इबादत में मसरूफ़।
नींद भरी आँखें अपनी
दर्द भरी कहानी किसे सुनायें?
इसे इबादत कहें या डूबना?
ज़र्रे – ज़र्रे को रौशन कर
क्लांत आतिश-ए-आफ़ताब,
अपनी सुनहरी, पिघलती, बहती,
रौशन आग के साथ डूब कर
सितारों और चिराग़ों को रौशन होने का मौका दे जाता है.
अर्थ:
आफ़ताब-सूरज
आतिश – आग
इबादत-पूजा
क्लांत –थका हुआ
खुशबू ने सीखाया बिखरना,
चाँद ने खामोशी।
खुद से गुफ्तगू करना सीखाया निर्झर ने,
ख्वाहिशों ने सीखाया सज़्दा – इबादत करना।
तनहाई, अकेलेपन ने फरियाद, शिकवा
पर
दुनिया के भीङ में भटकते- भटकते भूल जाते हैं सारे तालीम
शायद रियाज़ों की कमी है।
वह सफेद लिबास में, सफेद गुलदस्ते सी थी,
घर वालों को चाहिये थी लाली वाली दुलहन।
यह शादी, मैरेज अौर निकाह के बीच का फासला
प्रेम, इश्क, लव व इबादत
सब कुछ तोङ गई।
जब भी किसी ने आँखों से मदद मागीं
अौर
नादानी में, अनदेखा किया, वे आज भी याद हैं।
लरजते आँखों को पहचान लेना, ऐसे हाथों को
कस कर थाम लेना,
शायद सबसे बङी इबादत है !!!!
You must be logged in to post a comment.