ज़िंदगी वह आईना है,
जिसमें अक्स
पल पल बदलता है।
इसलिए वही करो
जो देख सको।
ज़िंदगी वह आईना है,
जिसमें अक्स
पल पल बदलता है।
इसलिए वही करो
जो देख सको।
आपने अपने आप को आईने में देखा ज़िंदगी भर।
एक दिन ज़िंदगी के आईने में प्यार से मुस्कुरा कर निहारो अपने आप को।
अपने को दूसरों की नज़रों से नहीं, अपने मन की नज़रों से देखा। कहो, प्यार है आपको अपने आप से!
सिर्फ़ दूसरों को नहीं अपने आप को खुश करो।
रौशन हो जाएगी ज़िंदगी।
जी भर जी लो इन पलों को।
फिर नज़रें उठा कर देखो। जिसकी थी तलाश तुम्हें ज़िंदगी भर,
वह मंज़िल-ए-ज़िंदगी सामने है। जहाँ लिखा है सुकून-ए-ज़िंदगी – 0 किलोमीटर!
चेहरा क्या है?
ईश्वर प्रदत उपहार….
हमारे उम्र अौर विचारों की छाया।
पर ये लफ्ज , ये बोली,
सच्चाई का आईना है
समझौता, भोलापन, भरोसा हँस पङे।
बोले हमारे साथ रहने वाले का यही हश्र होता है
पर एक बात है!
हम जिंदगी का आईना अौर दुनिया की असलियत जरुर दिखा देतें हैं।
आईना भी इस नासमझी पर
खुद से माफी नहीं मागँने देता।
कि खुद को दर्द क्यों पहुँचाना?
जमाना बैठा है इस काम के लिये।
बहुत खामोशी ……
अौर
हर पल मुस्कराता चेहरा…………
कभी गौर से देखो,
गर पढ़ सको………
तब दिखेगा,
यह तो दर्द का आईना है।
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