रंग बदलते मौसम, रंग बदलती दुनिया,
रस्ते बदलते दरिया और नादियाँ देख,
हर साँचे में ढलने वाले पानी के कहा – देख
वक़्त के साथ बदलना नहीं है मीनमेख।
नीर ने कहा, हर हाल में ख़ुश रहना सीख।
हमने तो सीख लिया हर हाल में ढलना।
भाप, बुलबुले बर्फ, नीर बन बह चलना।
ठंड में नाचते बर्फ के क्रिस्टल बन पलना।
बुलबुले से विलीन हो सम्मोहन बर्फ के फूल में खिलना।
जब अपना समय आएगा, बर्फ फिर नीर बन जाएगा।