महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।
महफ़िलें, भीड़, मेले में भी हो अकेले जब।
तन्हाई की आदत हो जाती है तब।
तन्हा सफ़र की आदत जाती नहीं तब,
तन्हाई की लगे जब तलब।
एकांत की खुमारी छाने लगे।
बिना नशा भी नशा आने लगे।
मतलब तन्हाई बन गई है शौक़ अजब
रब के आशीर्वाद की बन गई है सबब।