लगता था, क्या सुनाए दास्तान?
उम्र गुज़र जाएगी, पर पूरी नहीं होगी।
हर लफ़्ज़ पर आँसू थे छलकते,
गला था रुँधता।
दर्द में डूबी कहानी अधूरी रह जाती।
ज़िंदगी औ समय ने बना दी आदत,
आँसू पी कहानी सुनाने की।
समुंदर के साथ भी यही हुआ था क्या?
अपने हीं आँसुओं को पी-पी कर खारा हो गया क्या?
अपने हीं आँसुओं को पी-पी कर खारा हो गया क्या?