दो दिलों…रूहों की जुगलबंदी है इश्क़।
इश्क़ के हैं कुछ अदब-कायदे।
अज़ाब-ए-हिज्र-ओ-विसाल…
मिलन और वियोग में जीना
है सिखाती इश्क़ की जुगलबंदी।
टूट जाए यह जुगलबंदी,
फिर भी टूट कर जीना है सीखती।
एक दूसरे के लय-ताल पर
जीना है इश्क़-ए-जुगलबंदी।
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