ज़द्दोजहद में ज़िंदगी के,
थके, बेचैन दिन,
कट जाते है निशा के इंतज़ार में।
आ कर गुज़र जाती है रात भी,
किसी याद में।
रात की आग़ोश में,
थक कर सो जाते हैं ख़्वाब।
जागते रह जातें है
चराग़ और महताब…..चाँद।
जारी रहती है सफ़र-ए- ज़िंदगी।
ज़द्दोजहद में ज़िंदगी के,
थके, बेचैन दिन,
कट जाते है निशा के इंतज़ार में।
आ कर गुज़र जाती है रात भी,
किसी याद में।
रात की आग़ोश में,
थक कर सो जाते हैं ख़्वाब।
जागते रह जातें है
चराग़ और महताब…..चाँद।
जारी रहती है सफ़र-ए- ज़िंदगी।