चटख़ कर बिना शोर टूटते हैं दिल।
यक़ीन और विश्वास बेआवाज़ टूटते है।
तय है, खामोशी में भी है शोर।
ग़र सुन सके, तो हैं अलफ़ाज़ बेमानी।
कहने वाले कहते हैं –
खामोशी होती है बेआवाज़ …. शांत।
खामोशी की है अपनी धुन
सुन सके तो सुन।
चटख़ कर बिना शोर टूटते हैं दिल।
यक़ीन और विश्वास बेआवाज़ टूटते है।
तय है, खामोशी में भी है शोर।
ग़र सुन सके, तो हैं अलफ़ाज़ बेमानी।
कहने वाले कहते हैं –
खामोशी होती है बेआवाज़ …. शांत।
खामोशी की है अपनी धुन
सुन सके तो सुन।