बोतल से प्यार कर
महफ़ूज़ रहती है सूरा।
शराबी से आशिक़ी कर,
लगे नशेमन का कलंक।
हिना डाल पर हरी,
पाषाण की दोस्ती से बदल जाए रंग।
कमल का प्यार पानी संग
खिल जाए उसका रूप रंग।
लोहा का प्यार पानी से।
टूटे खा कर जंग।
कुछ लगाव अज़ीम रिश्ते हैं बनाते।
कुछ दोस्ती लगाते है कलंक।