ना कीजिए शक अपने वजूद पर।
और यक़ीन ना करें लोगों के
काँच से चुभते अल्फ़ाज़ों पर।
यह जानने के लिए सब्र कीजिए,
कि आप किसी की नज़रों में क्या हैं?
पत्थर, काँच, नगीना या हीरा ?
अनाड़ी हीरे को भी काँच समझ फेंक देता है।
पसंद करनेवाला तराशे काँच भी शौक़ से पहनते है।
वे आपमें क्या देखतें हैं,
यह रखता नहीं मायने ।
क्योकि अक्सर लोग दूसरों में
अपने विचारों का प्रतिबिम्ब देखते है।