पूछा जलते और ढलते सूरज ने।
तपन के बावजूद हम साज़िश करते रहते है
ताकि चाँद तुम दमक सको
मेरी प्रतिबिंबित रोशनी से।
मिलन ना लिखा हो हमारा।
पर ख्वाहिश है कि
चाँद तेरी दूधिया चाँदनी चमके
आफ़ताब….सूरज की रौशनी से।
Topic by yourquote
पूछा जलते और ढलते सूरज ने।
तपन के बावजूद हम साज़िश करते रहते है
ताकि चाँद तुम दमक सको
मेरी प्रतिबिंबित रोशनी से।
मिलन ना लिखा हो हमारा।
पर ख्वाहिश है कि
चाँद तेरी दूधिया चाँदनी चमके
आफ़ताब….सूरज की रौशनी से।
Topic by yourquote
Great lines!! 👏👏
LikeLiked by 1 person
Thanks Vidha.
LikeLiked by 1 person
👏👏👌🌷🌷
LikeLiked by 1 person
Thank you Anita
LikeLike
आपका स्वागत है दीदी🙏
LikeLiked by 1 person