सागर के उतरते ज्वार से बाहर आ गया प्रांगण …शिवाला, सागर फिर समेट लेता है आग़ोश में, वापस लौट कर भाटे की लहरों में। जीवन की लहरों में ख़ुशियाँ और ग़म ऐसे हीं उभरते-डूबते….आते-जाते रहते हैं।
(गणपति और शिव, कर्टर रोड, मुंबई। ज्वार-भाटे के साथ हाई टाईड में यह स्वयंभू मंदिर सागर की लहरों में डूब जाता है। लो टाईड में साग़र की लहरों से बाहर आ जाता है।)