सब उलझे हैं पाने में सिर्फ़ स्कूल-कॉलेज का ज्ञान,
दुनियावी साधन, धन और मान।
नहीं पाते जान,
अपने अंदर और ब्रह्मांड में गूँजते कम्पन,
पर कॉसमिक एनर्जी की करते हैं बात।
ठीक कह गए हैं कबीर-
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
बहुत सुंदर
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Thank you❤🌹🙏
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