अक्सर लड़कियाँ को सबक़ – ढके रहना सीखो।
सहना-चुप रहना सीखो, कहना नहीं।
लड़कों के सबक़ होतें हैं – लड़के हो, रोना नहीं,
आँसू नहीं बहाना, ज़िम्मेदार और मज़बूत रहना।
अंदर हीं अंदर घुटती भावनाओं
और दर्द के नासूर का क्या करना?
अपनी तकलीफ़-पीड़ा किसे है बतानी?
अपने लिए खड़े होना कौन सिखायेगा?
सच तो यह है –
भावनाओं और दर्द से भरा बारूद ना बन,
पहले ख़ुद से, अपने दिल-दिमाग़-रूह से प्यार कर।
खुशहाल ज़िंदगी के हक़दार है हम सब।
Wah! Excellent lines. It reflects the double standards by our society. Very beautiful poem.
♥️♥️♥️♥️♥️🌹🌹🌹🌹🌹
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Glad you liked it Aparna✨❤
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बहुत सुंदर।
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Thank You✨❤
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Evet sevgili Rekna; Hepimiz mutlu bir hayatı hak ediyoruz. 🌸
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प्रिय Alev Able, आभार और स्नेह।
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🥰
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🥰🥰
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😃😃
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