विदा करने की हो न हो चाहत।
पर रुख़्सत करना पड़ता है।
चाहे गुज़रे किन्ही हालातों से।
चाहे कैफ़ियत कई हो दिल में।
पर आनेवाले को जाने देना पड़ता है।
दुनिया की है यह रीत।
विदा करने की हो न हो चाहत।
पर रुख़्सत करना पड़ता है।
चाहे गुज़रे किन्ही हालातों से।
चाहे कैफ़ियत कई हो दिल में।
पर आनेवाले को जाने देना पड़ता है।
दुनिया की है यह रीत।
सही है /
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