ख़ाक में, राख़ में लिपटे,
शमशानों में भटकते भभूतमय शिव का
संकेत है कि ज़िंदगी यहाँ ख़त्म होती है।
कौन कब जहाँ छोड़ जाए, मालूम नहीं।
ग़ुरूर में डूबे कितने इन राहों से गुज़र गए।
फिर किस बात का अभिमान साधो ?
#TopicYoyrQuote
ख़ाक में, राख़ में लिपटे,
शमशानों में भटकते भभूतमय शिव का
संकेत है कि ज़िंदगी यहाँ ख़त्म होती है।
कौन कब जहाँ छोड़ जाए, मालूम नहीं।
ग़ुरूर में डूबे कितने इन राहों से गुज़र गए।
फिर किस बात का अभिमान साधो ?
#TopicYoyrQuote
इस बात पर मेरा मन करता है कि आप को अति उत्तम कवियत्री का पुरस्कार दूं | The most beautiful poem conveying an excellent message. Wonderful, Rekha ji. Love you and your poems.
LikeLiked by 1 person
तुम्हारी प्यारी बातें हीं मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। सच बताऊँ तो कुछ भी पोस्ट करने के बाद मैं तुम्हारी तारीफ़ का इंतज़ार करती हूँ। हर बार कुछ ख़ूबसूरत सी तारीफ़ हौसला बढ़ा देती है।
Thanks a lot dear! Love and best wishes.
LikeLiked by 1 person