ग़र दिल आपका नाज़ुक, कोमल है,
लोगों पर ऐतबार करने वाला है।
तब लाज़िमी है चोटें भी बहुत आएँगी।
दुनिया को रास नहीं आते ऐसे लोग।
दर्द दे हर दिल को अपने जैसा बनाने वाले
ढेरों है ज़माने में।
पत्थर दिलवालों को वहम होता है,
इस ज़माने में सब उन जैसे पत्थर दिल हीं हैं।
Fantastic poem. Very well written. Loved it, Rekha ji.
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Thanks Aparna. थोड़ी व्यस्तताओं के कारण देर से जवाब दे रही हूँ। 😊
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No problem, Rekhaji. Just always love reading your poems.
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Thanks dear!
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पूर्णतया सच को दर्शाती हुई 👌🏼👌🏼
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शुक्रिया अनिता । 😊
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ठीक कहा आपने
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शुक्रिया जितेंद्र जी।
शायद व्यस्तताओं की वजह से काफ़ी दिनों से आपने कुछ पोस्ट नहीं किया है। आशा है, सब ठीक है।
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जी हाँ, सब ठीक है। बहुत-बहुत शुक्रिया रेखा जी आपका। अंग्रेज़ी में लिखना तो कभी का छोड़ दिया था। हिन्दी के आलेख ब्लॉगर (jitendramathur.blogspot.com) पर हैं जहाँ आप जाती नहीं हैं। वैसे अब हिन्दी में भी नहीं लिखता हूँ। कारण कुछ विशेष नहीं है। बस मन नहीं होता। अगर मन करेगा तो आगे लिखूंगा।
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कोई बात नहीं जितेंद्र जी।
यह सच है कि कई बार लिखने का मन नहीं करता। कभी कभी ब्रेक लेना भी ज़रूरी है। मैं भी अब लम्बे पोस्ट लिखना कम कर कर दिया है।
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