एक दिन मिली राहों में उलझन बेज़ार, थोड़ी नाराज़ सी।
बोली – बड़े एहसान फ़रामोश हो तुम सब।
मैं ज़िंदगी के सबक़ सिखातीं हूँ
और तुम्हें शिकायतें मुझ से है?
जीना तुम्हें नहीं आता,
एक उलझन कम नहीं होती, दूसरी खड़ी कर देते हो।
हाँ! एक बात और सुनो –
ज़िंदगी है तो उलझने हैं! ना रहेगी ज़िंदगी ना रहेंगीं उलझने।
# this post is written on YourQuote topic.
Wah! Kya baat hai. Bahut khub. Well said.
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Thank you Aparna.
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Nice.
उलझने ज़िन्दगी में सबक सीखाती हैं,
हर पल रूलाती हैं,
ख्वाहिशें पूरी न होतो,
ज़िन्दगी उलझन में गुजर जाती है!!
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वाह ! बहुत ख़ूबसूरत। शुक्रिया नीरव।
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Very well written
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Thanks a lot.
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उलझनें जीवन में सबक तो सिखाती ही है साथ
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ये बहुत से सबक़ और उन्हें सुलझाना सिखातीं हैं। आभार अनिता अपने विचार बाँटने के लिए।
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ही हमारे जीवन में नवीनता भी बनाये रखती हैं । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति रेखा दीदी 👏👏👌🏼😊
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धन्यवाद अनिता। 😊
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हर दिन
मैं संदेह में हूँ
खुद के साथ
जब मैं गुस्से में हूँ
तब मेरे पास कुछ है
जीवन के वजूद में
ठीक से समझ में नहीं आया
मेरे पास कोई प्रमेय नहीं है, कोई पद नहीं है
न तो में
बोली
अभी भी एक उच्च भाषा में
अन्य लोगों के लिए
मुझे शिकायतें
मुझे शब्दों की जांच करनी है
अगर उनके पास मेरे लिए कोई अर्थ है
मैं किसी और को कुछ नहीं सिखा सकता
एक व्यक्ति को अपने जीवन को बेहतर तरीके से कैसे जीना चाहिए
वास्तविक ज्ञान के साथ बाधाओं पर
हमें खोलता है
सादा जीवन में
बेहतरी के लिए एक प्रयास
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🙏
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