दिया तुमने दर्द औ तकलीफ़।
ज़रूर कुछ सिखा रहे हो,
कुछ बता रहे हो।
डिग्री नहीं, सच्चे सबक़ नज़रों
के सामने ला रहे हो।
जानते हैं गिरने ना दोगे।
हाथ पकड़ कर चलना सीखा रहे हो।
दिया तुमने दर्द औ तकलीफ़।
ज़रूर कुछ सिखा रहे हो,
कुछ बता रहे हो।
डिग्री नहीं, सच्चे सबक़ नज़रों
के सामने ला रहे हो।
जानते हैं गिरने ना दोगे।
हाथ पकड़ कर चलना सीखा रहे हो।
Very very beautiful. This post touched my heart. Wonderful post, Rekha ji. I am an ardent admirer of your poetic skills.
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Thanks dear. It means a lot.
💐😊
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मैं बचपन से हूँ
अशांति में
अक्सर हताश
और डर में
शिक्षा
वो आत्मा
उसके सपने के माध्यम से
मेरे अंत तक चलेगा
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🙏🙏
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Very nice
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Thanks!
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