ख़ामोशी की क़दर करने वाले लोग,
हर लम्हें जीते हैं।
सही वक़्त मिले, दिल मिलें।
गुलिस्ताँ में गुलाब से लगाने वाले
अपने जैसे लोग मिलें।
दिल की बातें दिलों तक जाए।
तब कम बोलने वाले भी क्या ख़ूब बोलते हैं।
Psychological Fact- Quiet people are actually very talkative around the right people.
Very good
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Thanks 😊
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True
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Thank you Vartika.
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Very very beautiful lines. And you are right about people who are quiet, shy and introvert. Love it.
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Thanks Aparna. I use to be a quiet child. I can understand this fact too. 😊
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क्या नहीं
कहा
जाँच
फुटपाथ पर गिरने से पहले
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🙏🙏
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very nice
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Thank you 😊!
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कइ बार खामोशी भी सब कुछ बयां कर देती है. जो बातें जो जुवां न कह पाए , आंखें कह देती हैं.
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बहुत ख़ूब! !
खामोशी की ज़ुबान पढ़ना आना चाहिए।
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शायद ठीक ही कहा आपने रेखा जी। चाहे हर लम्हा जियूं, चाहे हर लम्हा मरूं मगर मैं क़द्र करता हूँ ख़ामोशी की। और मैं उन लोगों की भी क़द्र करता हूँ जो ख़ामोशी की क़द्र करते हैं, उसकी वक़त को पहचानते हैं।
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शुक्रिया जितेंद्र I। कुछ लोगों को हर हालत में शिकायतें हीं रहती है – कम बोलें या ज़्यादा।
मेरे ख़याल में, कम बोलने वाले खामोशी पढ़ना सीख जातें हैं। पर मन की बातें मन में रखना भी ठीक नहीं। इसलिए जहां अपना सा कोई मिले तो बातें share कर दिल हल्का रखना चाहिए।
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सही मायनों में अपना तो वो ही है रेखा जी जो ख़ामोशी की ज़ुबान सुन ले, बिना कुछ कहे ही अपने के दर्द को समझ ले (और ख़ामोश रहते हुए भी बांट ले)। मैंने सम्भवतः कभी आपके इसी ब्लॉग पर निर्मला सिंह गौर जी की एक कविता की कुछ पंक्तियां उद्धृत की थीं, उन्हीं को लिख रहा हूँ:
दोस्त क्या होता है, क्या होती हैं उसकी ख़ूबियाँ
इस ज़माने में बड़ी किस्मत से मिलता हैं यहाँ
दोस्त है जो अनकहे ही दर्द को पहचान ले
हाल-ए-दिल क्या है ये बस चेहरे से पढ़ कर जान ले
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हाँ बात बिलकुल सही है। वैसे एक ना एक सच्चे दोस्त आसपास होते हैं। जिनकी पहचान परेशानियों के वक्त होती है।
हाँ, मुझे याद है। यह कविता आपने भेजी थी। बेहद सुंदर पंक्तियाँ है। तब मुझे भी लगा था ऐसे दोस्त कहाँ मिलतें हैं? पर अब लगता है मिलते हैं। बस पहचानने में वक्त लगता है।
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