परख

अनसुना किए जाने पर मौन हो

परखना बेहतर है।

अनदेखा किए जाने पर बातें

लिखना बेहतर है।

तब अनदेखा अनसुना करने वाले

हर बात पर गौर करने लगते हैं।

10 thoughts on “परख

  1. वो आत्मा
    चुप नहीं है
    यह सपने में खुल जाएगा
    आईना पेश करो
    हमें गलत क्या ले जाता है

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  2. बातों में दम हो तो लोग अनसुना नही करेंगे. अब लोग दमदार न हों तो बेहतर है कि आप अपनी बात न सुनाएं.

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    1. आपकी बात सही है। पर गौर करेंगे तो ऐसे बहुत लोग मिल जाएँगे, जो सुनने में दिलचस्पी नहीं रखते, बात चाहे कितनी अनमोल-दमदार हो।

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      1. इसीलिए मैं कह रहा हूं कि ऐसे लोगों के सामने अपनी बात कहनी ही नही चाहिए. कहा है नक्कारे में तूती की आवाज नही गूंजती.

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