कुछ मोहब्बतें
जलतीं-जलातीं हैं।
कुछ अधुरी रह जाती हैं।
कुछ मोहब्बतें अपने
अंदर लौ जलातीं हैं।
जैसे इश्क़ हो
पतंग़े का चराग़ से,
राधा का कृष्ण से
या मीरा का कान्हा से।
कुछ मोहब्बतें
जलतीं-जलातीं हैं।
कुछ अधुरी रह जाती हैं।
कुछ मोहब्बतें अपने
अंदर लौ जलातीं हैं।
जैसे इश्क़ हो
पतंग़े का चराग़ से,
राधा का कृष्ण से
या मीरा का कान्हा से।
So beautiful rekha ji 👌😊
Bht sundar lines hai 😇
LikeLiked by 1 person
Thanks a lot Sonali. 😊
LikeLiked by 1 person
बहुत सुंदर लिखा है।
LikeLiked by 1 person
बहुत शुक्रिया !
LikeLike
Waah! कुछ मोहब्बतें अपने ,अंदर लौ जलातीं हैं।
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया रविंद्र जी!
LikeLike
Woww.. aap humesha bahut aacha likhti ho mam .. 👍👍
LikeLiked by 2 people
Thanks Raksha taarif ke liye! 😊
LikeLiked by 1 person
ह्रदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति 👌🏼👌🏼😊
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद अनिता। 👍💕
LikeLike
जीवन चाहता है
कि हम जीवन देते हैं
इनाम के बिना
नम्र सेवा में
हम इसमें
उपभोग करना
LikeLiked by 1 person
🙏
LikeLiked by 1 person