जाड़े की सुबह बादलों
से लुकाछुपी खेलती
सुनहरी धूप सरकती,
पैरों तक आ उसे
गुनगुना कर गई।
ख़ुश-गवार, फ़िज़ा परिंदों
की चहचहाहट…. हर सुबह
एक नई रंग ले कर आती है।
स्याह रात के ख़िलाफ़
जंग जीत कर आती है।
जाड़े की सुबह बादलों
से लुकाछुपी खेलती
सुनहरी धूप सरकती,
पैरों तक आ उसे
गुनगुना कर गई।
ख़ुश-गवार, फ़िज़ा परिंदों
की चहचहाहट…. हर सुबह
एक नई रंग ले कर आती है।
स्याह रात के ख़िलाफ़
जंग जीत कर आती है।
अंधेरी रात
ब्रह्मांड से
सूरज
धरती माता
दूर कर दिया
नींद
सपना
हम सब मनुष्यों के
प्रत्येक के बाद
विजय
अचेतन के विरुद्ध
अनुसरण करता है
विफलता
हर कदम पर
नए दिन में
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🙏🙏
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