अक्सर ज़ुबान पर लगे
सयंम के पहरे स्याह पलों
में बिखर जातें है।
दिल की गहराइयों में
छुपी बातें, लबों पर
बेबाक़ी से छलक आतीं हैं।
दिल से दिल की बातें
करनी हो तो चरागों के
जश्न से बेहतर अँधेरे हैं।
मनोवैज्ञानिक तथ्य– देर रात को बात करने पर ज्यादातर लोग सच बोलते हैं, क्योंकि रात को दिमाग थका हुआ होने के कारण ज्यादा नहीं सोच पाता है।
Psychology says – Night Is The Best Time To Have A Deep Conversation With Someone, According To Experts
Shandaar kavita, Rekhaji.
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Thank you Astha! 😊
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वाह, बहुत सुन्दर |
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शुक्रिया।
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यदि तुम
दिन के दौरान
रात में
सपने में
मुझे छूना
मेरे साथ
बात क
तब फिर
लेज़
वो आत्मा
हम दोनों पर
एक भारी वजन
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🙏🙏
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Kya baat hai… bilkul sateek kaha apne… Bahut sundar
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शुक्रिया आशीष। यह सच्चाई है और मनोवैज्ञानिक तथ्य भी।
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