ज़िंदगी के सफ़र में लोग आते हैं।
कुछ दूर कुछ साथ निभाते हैं।
कुछ क़ाफ़िले में शामिल हो
दूर तलक़ जातें हैं।
कुछ मुस्कान और कुछ
आँसुओं के सबब बन जातें हैं।
कुछ ख़्वाबों में बस कर
रह जातें हैं।
ज़िंदगी के सफ़र में लोग आते हैं।
कुछ दूर कुछ साथ निभाते हैं।
कुछ क़ाफ़िले में शामिल हो
दूर तलक़ जातें हैं।
कुछ मुस्कान और कुछ
आँसुओं के सबब बन जातें हैं।
कुछ ख़्वाबों में बस कर
रह जातें हैं।
By reading the title I remeber one song..Zindagi ek Safar hai suhana , yaha kal kya ho kisne Jana. 😅😂 By the way, lovely and meaningful poem! 💛
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Thank you!
Yes, it’s a melodious song and close to the reality of life.
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😄
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सच कहा रेखा जी। वैसे पुरानी फ़िल्म ‘अपनापन’ का गीत याद दिला दिया आपने जिसे मोहम्मद रफ़ी साहब और लता मंगेशकर जी ने गाया है:
आदमी मुसाफ़िर है, आता है, जाता है
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है
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मुझे भी अब ऐसा हीं लगता है। कब कौन मिल जाए। कब साथ छूट जाए पता नहीं।
यह हो बड़ा मधुर गीत है।
आपको धन्यवाद ।
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