नज़रें झुका कर,
उठा कर,
पलकें झपका
कर अश्कों को क़ाबू
करना सीखा था, पर
आँखें ऐन वक्त पर
धोखा दे गईं।
जब आँखों को आँखें दिखाईं,
जवाब मिला
हमारी नहीं जज़्बातों
की ख़ता है।
नज़रें झुका कर,
उठा कर,
पलकें झपका
कर अश्कों को क़ाबू
करना सीखा था, पर
आँखें ऐन वक्त पर
धोखा दे गईं।
जब आँखों को आँखें दिखाईं,
जवाब मिला
हमारी नहीं जज़्बातों
की ख़ता है।