डर December 28, 2021 Rekha Sahay सब खो दिया। अब क्यों डरें? कुछ और अब ना चाहिए। वरना फिर डरना सीख जाएँगें। Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
डर उपहार है प्रकृति वह मदद कर सकती है अनावश्यक नहीं कदम उठाने की हिम्मत करने के लिए LikeLiked by 1 person Reply
गहरी व वैराग्य के भावों से युक्त सुंदर रचना 👌🏼👌🏼⚘😊
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कविता के भाव समझने के लिए धन्यवाद अनिता!
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डर
उपहार है
प्रकृति
वह मदद कर सकती है
अनावश्यक नहीं
कदम उठाने की हिम्मत करने के लिए
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🙏
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