हर दिल में कितने
ज़ख़्म होते हैं….
ना दिखने वाले।
कुछ चोट, समय के
मरहम से भर जातें हैं।
कुछ रिसने वाले
नासूर बन, रूहों तक
उतर जातें हैं।
धीरे-धीरे ज़िंदगी
सिखा देती है,
दिल में राज़ औ लबों
पर मुस्कुराहट रखना।
हर दिल में कितने
ज़ख़्म होते हैं….
ना दिखने वाले।
कुछ चोट, समय के
मरहम से भर जातें हैं।
कुछ रिसने वाले
नासूर बन, रूहों तक
उतर जातें हैं।
धीरे-धीरे ज़िंदगी
सिखा देती है,
दिल में राज़ औ लबों
पर मुस्कुराहट रखना।